How Much You Need To Expect You'll Pay For A Good baglamukhi sadhna



मेरे पास ऐसे बहुत से लोगों के फोन और मेल आते हैं जो एक क्षण में ही अपने दुखों, कष्टों का त्राण करने के लिए साधना सम्पन्न करना चाहते हैं। उनका उद्देष्य देवता या देवी की उपासना नहीं, उनकी प्रसन्नता नहीं बल्कि उनका एक मात्र उद्देष्य अपनी समस्या से विमुक्त होना होता है। वे लोग नहीं जानते कि जो कष्ट वे उठा रहे हैं, वे अपने पूर्व जन्मों में किये गये पापों के फलस्वरूप उठा रहे हैं। वे लोग अपनी कुण्डली में स्थित ग्रहों को देाष देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत परम्परा है। भगवान शिव ने सभी ग्रहों को यह अधिकार दिया है कि वे जातक को इस जीवन में ऐसा निखार दें कि उसके साथ पूर्वजन्मों का कोई भी दोष न रह जाए। इसका लाभ यह होगा कि यदि जातक के साथ कर्मबन्धन शेष नहीं है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। लेकिन हम इस दण्ड को दण्ड न मानकर ग्रहों का दोष मानते हैं।व्यहार में यह भी आया है कि जो जितनी अधिक साधना, पूजा-पाठ या उपासना करता है, वह व्यक्ति ज्यादा परेशान रहता है। उसका कारण यह है कि जब हम कोई भी उपासना या साधना करना आरम्भ करते हैं तो सम्बन्धित देवी – देवता यह चाहता है कि हम मंत्र जप के द्वारा या अन्य किसी भी मार्ग से बिल्कुल ऐसे साफ-सुुथरे हो जाएं कि हमारे साथ कर्मबन्धन का कोई भी भाग शेष न रह जाए।

नमामि बगलां देवीमासव-प्रिय – भामिनीम् ।

४६. ॐ ह्लीं श्रीं शं श्रीरूपिण्यै नमः-हृदयादि दक्ष-करान्तम् (हृदय से दाहिने हाथ के अन्त तक)

पाणिभ्यां वैरि-जिह्वामध उपरि-गदां विभ्रतीं तत्पराभ्याम् ।

मदिरामोद-वनां प्रवाल-सदृशाधराम् । पान-पात्रं च शुद्धिं च, विभ्रतीं बगलां स्मरेत् ।

‘पराजयं प्राप्य पलायमानं राक्षसैरिन्द्रादि-वधार्थमभिचार-रूपेण भूमौ निखाता अस्थि केश-नखादि-पदार्था: कृत्या-विशेषा वलगाः।

सिद्ध-विद्या महेशानि!, त्रिशक्तिर्बगला शिवे! । ।

वादी मूकति, रङ्कति क्षिति-पतिर्वैश्वानरः शीतति ।

‘धरुणः पृथिव्याः’ पद पृथिवी तत्त्व की प्रतिष्ठा बताता है-‘प्रतिष्ठा वै धरुणम्’ (शतपथ ब्राह्मण ७-४-२-५)।

निधाय पादं हृदि वाम-पाणिनां, जिह्वां समुत्पाटन-कोप-संयुताम् ।

‘विनाशय’-पदं पातु, पादांगुल्योर्नखानि मे । ‘ह्रीं’ बीजं सर्वदा पातु, बुद्धीन्द्रिय-वचांसि मे ।।११सर्वाङ्गं ‘प्रणवः’ पातु, ‘स्वाहा’ रोमाणि मेऽवतु । ब्राह्मी पूर्व-दले पातु, चाग्नेय्यां विष्णु-वल्लभा ।। १२

नलखेड़ा ( आगर मालवा ). आगर मालवा click here जिले के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के तट पर स्थित है मां बगलामुखी का भव्य मंदिर। यह मंदिर धार्मिक व तांत्रिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां का हवन दुनियाभर में तंत्र साधना और अपने पर आए कष्टों को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है

Goddess Baglamukhi could be the eighth mahavidya inside the number of 10 mahavidyas. She's identified While using the bravery and strength. Goddess Baglamukhi has the strength of turning matters into its reverse. She can turn silence into speech, ignorance into information, defeat into a victory, ugliness into elegance, poverty into wealth, Selfishness to friendliness. She also unfolds the truth powering the looks and preserve us from being deceived by a little something and by an individual. Out of many of the 10 Mahavidyas, Ma Bagalamukhi mahavidya sadhana is connected to a massive amount of occult powers. She can be occasionally known as the Brahmaastra (this is the weapon of Brahmaa that he works by using throughout warfare).

खड्ग-कर्त्री-समायुक्तां, सव्येतर-भुज-द्वयाम् । कपालोत्पल-संयुक्तां, सव्य-पाणि-युगान्विताम् । ।

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